Monday, February 14, 2022

तलाश

निकला शायर पूस की रात,
करने खुद की तलाश
सवाल थे कई जहन में उसके,
मिल गया मुझको एक सवाल

जा रहे सब घर को अपने,
मेरे पीछे कोई चल रहा
चेहरा उसका देखा नही,
पर उसकी महक हवाओ में गुल गई
चांदनी रात ने,
सफेद चादर ओढ़ ली

उसकी रहा अलग,
मेरी रहा अलग है
वो है एक कहानी,
उसकी लिखावट अलग है
मैं कहना भी चाउ
तो क्या कहूं उससे,
उसकी भाषा कुछ और है

ठंड की रात में,
तारों की चमक अलग है
मेरे बगल से निकली जब वो,
दिल की धड़कने अलग है

मैं लिखना चाउ भी तो लिखू कैसे,
उसकी बालों की उलझन सुलझाऊ कैसे
मेने तो ना देखा उसका चेहरा भी,
पर उसकी एक नजर मैं भुलाऊ कैसे

चांद भी एक फरेब है,
उसका चेहरा कोई नूर है
देखा तो नही कभी मैंने,
पर ठंड की इस रात में हर एक जुगनू फेल है
मैं भुलाऊं भी तो भुलाऊं कैसे,
हिकायत उसकी सुनाऊं कैसे
उसकी रहा अलग है,
मेरी रहा अलग है
उन रास्तों को मिलाऊ कैसे

उसकी रहा अलग,
मेरी रहा अलग है
वो है एक कहानी,
पर उसकी लिखावट कुछ और है
मैं पढू भी तो पढू कैसे,
उसके बालों की उलझन सुलझाऊं कैसे
मैने तो देखा नही उसे कभी,
पर आदि से उसका कोई तो जोड़ है

देखा आसमान में,
सफेद चादर की परद है
उसके बालों की उलझन से,
दिल की धड़कने तेज हैं

यू तो लिखता शायर रोज कुछ है,
हर जुबान पर उसका ही शोर है
पर उसके बालों की उलझन कहती कुछ और है,
इश्क की गली में रोज एक मोड़ है

रब ना करे कोई ऐसा मोड़ आए,
हाथों की लकीरों में उसका नाम आए
लिख चुका है आदि पहले ही किसी और को,
अब कोई और कहानी ना उसकी डायरी में आए

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