Monday, February 14, 2022

मुस्कान

माना मै तन्हा हूं,
तो क्या हुआ मै राहों में अकेला हूं

क्यों रोकता मै खुद को,
जब यह ज़माना ही काफी था
देखा है मैने मुकम्मल होते उस जहां को,
जिसका ना कभी कोई वजूद था

मिली तो मुस्कान मुझे भी थी,
पर कंबकत तकदीर को कुछ और ही मंजूर था
मै रोया था रातों में कई दफा,
इश्क मेरा मुक्मबल नही यह मै जानता था

आखिर दुनिया मुझसे रूठी क्यों,
क्या मैं इतना बुरा था
मेरे सफर में,
क्यों किसी और की नज़राना था

माना मै तन्हा हूं,
तो क्या हुआ मै राहों में अकेला हूं

हारा मै आज भी नही,
माना सफर अभी मेरा पूरा हुआ नही
पर लकीरों में तो लिखा यही,
रास्ता अभी भी साफ नही
मिला फिर भी मुझे नाम यही,
किस्मत अच्छी थी इसलिए पहुंच गया रास्ते पर सही
लेकिन कोई यह समझ पाया ही नही,
कितनी रातें तो मैं सो पाया ही नही

माना मै तन्हा हूं,
तो क्या हुआ मै राहों में अकेला हूं

अकेला चल रहा हूं,
इसलिए यहां तक पहुंचा हूं
मंजिलो के बारे में बातें कर रहा हूं,

बरना टूटा मै भी था
खुशियों से बिछड़ कर,
आंखों में सैलाब रोक कर
यूं ही नही मेरी हसीं का गुडगान हुआ था,

अब वास्ता किसी से मै रखता नही,
मंजिल मेरी है, तो नज़राना मै किसी से लेता नही
माना मंजिल अभी दूर है, रास्ते धुंधले है
पर दिल कहता है मुस्कान रख सब कुछ मुमकिन हैं

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